सहारा जीवन
अमेठी । मध्य प्रदेश के रीवा से निकली बघेली जन जागरण यात्रा शनिवार को अमेठी पहुंची।जहां अवधी साहित्य संस्थान की ओर से इस साहित्यिक यात्रा का सूफी संत मलिक मोहम्मद जायसी की तपोस्थली पर जोरदार स्वागत किया गया। यात्रा के संयोजक डॉ राम गरीब पांडे विकल के अगुवाई में निकली बघेली अवधी जन जागरण यात्रा में चंद्रिका प्रसाद चंद्र, गीता शुक्ला ‘गीत’ , शिवकांत तिवारी सरस, शुधा कांत ‘बेलाला’, श्रुति मिश्र आदि सम्मिलित रहे। अवधी साहित्य संस्थान की ओर से अध्यक्ष डॉ अर्जुन पांडेय व महासचिव डॉ धनंजय सिंह की अगुवाई में सूफी संत मलिक मोहम्मद जायसी की तपस्थली पर शनिवार को स्थानीय साहित्यकारों के साथ यात्रा में सम्मिलित सदस्यों का भव्य स्वागत एवं अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया। समारोह की अध्यक्षता पूर्व गृह सचिव बिहार जियालाल आर्य ने कहा कि इस यात्रा से अवधि के साथ-साथ बघेली के विकास में सहायता मिलेगी। मुख्य अतिथि प्रख्यात अवधी साहित्यकार डॉ राम बहादुर मिश्रिर अवधी बघेली के संबंध को परिभाषित करते हुए इस यात्रा के उद्देश्य का विस्तृत वर्णन किया। उन्होंने कहा कि इस यात्रा का उद्देश्य अवधी एवं बघेली के विकास के साथ ही आम आदमी को इससे जोड़ना है। अवधी का साहित्य अन्य स्थानीय भाषाओं से काफी धनी है। इस यात्रा का उद्देश्य साहित्य और भाईचारा को बढ़ावा देना है। यह यात्रा यहां से अयोध्या धाम के लिए रवाना होगी, इसके बाद लखनऊ के रास्ते चक्रतीर्थ नैमिषारण्य पहुंचेगी वहां से चित्रकूट पहुंचकर यह यात्रा का समापन होगा। यात्रा के संयोजक विकल जी ने कहा अवधी और बघेली की बोली बानी लगभग समान है यहां की भाषा और यहां की संस्कृति बघेली भाषा और संस्कृति से मिलती जुलती है। बघेली अवधी की छोटी बहन है । इस यात्रा का उद्देश्य बघेली और अवधी के साहित्य को परस्पर सहयोग कर हिंदी को मजबूत करना है। अवधी साहित्य संस्थान की ओर से यात्रियों का अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ अर्जुन पांडेय ने कहा कि अवधी साहित्य संस्थान अवधी के विकास में निरंतर लगा हुआ है। इस यात्रा से बघेली के साथ ही अवधी के विकास में सहायता मिलेगी। अवधी को सशक्त कर ही हम अपनी संस्कृति को मजबूत कर सकते हैं। स्थानीय साहित्यकारों ने काव्य पाठ कर यात्रियों का स्वागत किया और अवधी के समृद्ध बनाने का संदेश दिया। सूफी संत मलिक मोहम्मद जायसी के उत्कृष्ट काव्य पद्मावत का वक्ताओं ने जगह जगह जिक्र किया।उनके द्वारा रचित बारहमासा पर विस्तृत व्याख्या हुई।सभी का आभार व्यक्त करते अवधी साहित्य संस्थान के महासचिव डॉ धनंजय सिंह ने कहा कि भारत की विशेषता भाषाई विविधता की है। आज आवश्यकता है अपनी भाषा को सशक्त बना कर अपनी संस्कृति को मजबूत करने की।कार्यक्रम में अरुण कुमार मिश्र, गुंजन मिश्रा, रामेश्वर सिंह निराश, रामबदन शुक्ल पथिक, सुरेश चंद्र शुक्ल नवीन, शिव भानु कृष्णा, सत्येंद्र प्रकाश शुक्ला हिमांशु प्रखर उदय राज वर्मा डॉ अभिमन्यु पांडेय, मोइनुद्दीन, सुमित यादव सहित तमाम लोग मौजूद रहे।