सहारा जीवन न्यूज
अमेठी।जनपद में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में नियमित टीकाकरण कार्यक्रम की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस कार्य में आशा कार्यकत्रियो की अहम भूमिका है, उक्त जानकारी जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ सी एस अग्रवाल ने दी। उन्होंने बताया कि बच्चों में होने वाली खतरनाक बीमारियों जैसे टीबी, डिपथीरिया, काली खांसी, टिटनेस, पोलियो, खसरा, रूबेला कन्जेनाइटल रूबेला सिड्रोम, हेपेटाइटिस बी, डायरिया, रोटा वायरस तथा हिब-निमोनिया आदि के संक्रमण से बचाव हेतु शत-प्रतिशत बच्चों का टीकाकरण जरूरी है। उन्होंने बताया कि टीकाकरण के बाद बच्चों में बुखार आ सकता है एवं लगने वाली जगह पर दर्द या सूजन, लालिमा हो सकती है। इस कारण लगभग 5 प्रतिशत परिवार अपने बच्चों का टीकाकरण कराने से मना कर देते हैं। प्रतिरोधी परिवारों में टीकाकरण सुनिश्चित कराये जाने हेतु आशा 23 माह तक के ऐसे बच्चों की सूची तैयार करें, जिनकी उम्र के सापेक्ष टीकाकरण या तो उनके परिवार द्वारा मना करने या उनकी झिझक के कारण नहीं हो पा रहा है। टीकाकरण से मना करने का मुख्य कारण जाने ताकि टीका प्रतिरोधी परिवार को समझाते समय उन्हें सही जानकारी सही उदाहरणों के माध्यम से दी जा सके। प्रत्येक ब्लॉक में ब्लॉक रिस्पांस टीम का गठन किया गया है। प्रतिरोधी परिवार के क्षेत्र में कार्य करने वाली आशा ब्लॉक रिस्पांस टीम की सदस्य होती है। टीका प्रतिरोधी परिवार के क्षेत्र में रहने वाले प्रभावशाली व्यक्तियों धर्मगुरु, मौलवी, कोटेदार, प्रधान, वार्ड के सदस्य, अध्यापक, लेखपाल, सचिव आदि से मिलकर बी.आर.टी. टीम के माध्यम से टीका प्रतिरोधी परिवारों के घर पर जाकर उन्हें समझा-बुझा कर टीकाकरण कराएँ। समुदाय को टीकाकरण के बाद होने वाले प्रतिकूल प्रभावों तथा उन्हें दूर करने के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करें। बुखार आने पर पैरासिटामॉल दवा उपलब्ध करायें।वी.एच.एन.डी. में अपना सक्रिय सहयोग प्रदान करते हुए टीकाकरण, जांच एवं परामर्श आदि की सेवाएँ उपलब्ध करायें। उन्होंने बताया कि भ्रांतियों को दूर करने के लिए प्रभावशाली व्यक्तियों के साथ बैठक करके या सामुदायिक बैठकों द्वारा समाज को टीकाकरण के प्रति प्रेरित करें। टीकाकरण के बाद होने वाली किसी भी वास्तविक प्रतिकूल स्थिति के सम्बन्ध में प्रभारी चिकित्साधिकारी एवं ए.एन.एम. को सूचित करते हुए आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करायें।