अमेठी : श्रावण मास में नागपंचमी के शुभ अवसर पर श्रीमत परमहंस आश्रम टीकरमाफी में अमेठी के कांग्रेसी नेता धर्मेंद्र शुक्ला ने विद्वान पंडितों के मंत्रोच्चार के साथ श्री नर्मदेश्वर भगवान का रुद्राभिषेक किया।
कहा जाता है कि नागों की रक्षा के लिए यज्ञ को ऋषि आस्तिक मुनि ने श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन रोक दिया और नागों की रक्षा की। इस कारण तक्षक नाग के बचने से नागों का वंश बच गया। आग के ताप से नाग को बचाने के लिए ऋषि ने उनपर कच्चा दूध डाल दिया था। तभी से नागपंचमी मनाई जाने लगी।
‘नागपंचमी’ की एक धार्मिक मान्यता है।नागपंचमी के दिन वासुकी नाग, तक्षक नाग, शेषनाग आदि की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि नाग देवता इंसानों की रक्षा करें इसलिये उन्हें पूजा जाता है. सनातन धर्म में नाग पंचमी के बहाने नागों की रक्षण का व्रत लिया जाता है. नागों की रक्षा से पर्यावरण संतुलित रहता है. सबसे विषैले सांप कालिया पर कृष्ण की विजय के उपलक्ष्य में, अश्विनी के पांचवें दिन नाग पंचमी मनाई जाती है, जो नाग के आतंक के शासन के अंत का प्रतीक है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मुख्य रूप से नाग देवता की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि नागपंचमी के दिन यदि नाग देवता की पूजा की जाए तो सर्प भय से मुक्ति मिल जाती है।