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आचार संहिता लगने के बाद भी विधानसभा अध्यक्ष 61 लाख, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष 25 लाख बांट सकेंगे रुपए

भोपाल।दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले ही विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष स्वेच्छानुदान की पूरी राशि बांट सके, इसलिए राज्य सरकार ने अनुदान को समानुपातिक रूप से मासिक आधार पर खर्च करने का नियम समाप्त कर दिया है। इसके चलते अब अक्टूबर माह में एक सप्ताह बाद भी आचार संहिता लगी तो अध्यक्ष 61 लाख, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष 25 लाख रुपए बांट सकेंगे।संसदीय कार्य विभाग ने विधानसभा में रामेश्वर शर्मा के प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने के समय विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष द्वारा बांटे जाने वाले स्वेच्छानुदान के लिए अनुदान समानुपातिक रूप से मासिक आधार पर खर्च करने का नियम बनाया था। तब से ही यह नियम लगातार चला आ रहा था।ऐसे में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को पूरे साल के लिए दिए गए स्वेच्छानुदान मद में से मासिक आधार पर ही स्वेच्छानुदान वितरित करने का अधिकार था। विधानसभा अध्यक्ष के लिए स्वेच्छानुदान की राशि ढाई करोड़ रुपए सालाना है, वहीं विधानसभा उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की स्वेच्छानुदान राशि एक करोड़ रुपए सालाना है। चूंकि इसी साल दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने हंै। इसके लिए 45 दिन पहले आदर्श चुनाव आचार संहिता लग जाती है।भारत निर्वाचन आयोग जैसे ही चुनाव की तिथियां घोषित करेगा, उसी समय से आचार संहिता प्रभावशील हो जाएगी और विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के अनुदान वितरण, नये निर्माण कार्य, नई घोषणा पर रोक लग जाएगी। यदि स्वेच्छानुदान वितरण का मासिक समानुपातिक आधार पर वितरण वाला नियम जारी रहता है और अक्टूबर अंत में  या एक नवंबर से आचार संहिता लग जाती है तो नवंबर और दिसंबर माह के स्वेच्छानुदान की राशि बांटने का मौका विधानसभा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को नहीं मिलेगा इसलिए स्वेच्छानुदान वितरण में मासिक समानुपातिक आधार पर अनुदान वितरण का प्रावधान संसदीय कार्य विभाग ने समाप्त कर दिया है।नियमों में संशोधन का असर यह होगा कि वित्त विभाग के त्रैमासिक बजट वितरण के आधार पर अक्टूबर से दिसंबर तक के लिए जो स्वेच्छानुदान का त्रैमासिक बजट है, उसके अनुसार पूरी तिमाही के लिए तय राशि जो अध्यक्ष के लिए 2.5 करोड़ में से 61 लाख और नेता प्रतिपक्ष के लिए एक करोड़ में से 25 लाख रुपए होती है वह ये दोनो एक साथ उसी माह में बांट सकेंगे। एपी सिंह प्रमुख सचिव, विधानसभा ने बताया कि स्वेच्छानुदान समानुपातिक रूप से मासिक आधार पर देने का प्रावधान समाप्त होने से अब वित्त विभाग की त्रैमासिक बजट सीमा के  आधार पर तीन माह के लिए तय राशि इस अवधि में कभी भी खर्च की जा सकेगी।  राजेश गुप्ता, अपर सचिव, संसदीय कार्य विभाग ने बताया कि अभी तक विधानसभा अध्यक्ष के लिए ढाई करोड़ और नेता प्रतिपक्ष के लिए एक करोड़ सालाना स्वेच्छानुदान है। अभी तक वे मासिक आधार पर यह अनुदान दे सकते थे, अब मासिक वितरण का बंधन समाप्त कर दिया गया है।

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