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छात्र उत्कर्ष हत्याकांड: पुलिस ने पारदर्शिता से जांच का दिया भरोसा

सहारा जीवन न्यूज

राजेश सरकार

प्रयागराज। संगम नगरी प्रयागराज में बीते बरस दिसम्बर माह के आखिरी दिन शनिवार को जब लोग नये साल में जश्न मनाने की तैयारियों में व्यस्त थे उसी दिन सुबह जनपद के करछना थाना क्षेत्र में गंधियांव ग्राम सभा निवासी वरिष्ठ पत्रकार डॉ भगवान प्रसाद उपाध्याय के घर कोहराम मचा था। उनका पौत्र एवं एक हिंदी दैनिक के संपादक पवनेश कुमार पवन के इकलौते 19 साल के पुत्र उत्कर्ष का शव घर से थोड़ी दूर जाकर रेलवे ट्रैक पर औंधे मुंह पड़ा पाया गया था। इस दृश्य को देखकर परिवार दहाड़े मार कर रो पड़ा। घटना को एक महीने होने वाले हैं लेकिन हत्याकांड का खुलासा पुलिस अभी तक नहीं कर सकी है। वहीं उत्कर्ष की मां के आंसु नहीं रुक रहे है और उसकी दादी भी गुमसुम रहती है। पूरा पत्रकार परिवार इस गहरे सदमे से अभी तक नहीं उबर पाया है। वहीँ स्थानीय पुलिस ने भरोसा दिलाया है कि इस घटना की गहराई से पूरी पारदर्शिता के साथ जांच की जाएगी और दोषी को बख्शा नहीं जाएगा |
इसबीच परिजन व पत्रकार संगठन के पदाधिकारियों ने हत्यारों को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम को संयुक्त रूप से सम्मानित करने की घोषणा भी कर दी है। परिवार वालों के अनुसार घटना की जांच में कई संदिग्ध बिंदुओं पर पुलिस गहराई से छानबीन कर रही है और वह जल्द ही इसका खुलासा कर लेगी। ऐसा पुलिस अधिकारियों ने भुक्तभोगी परिवार को आश्वासन दिया है । गौरतलब है कि 31 दिसंबर 2022 दिन शनिवार को सुबह 9:00 बजे के बाद उत्कर्ष संदिग्ध स्थितियों में रेलवे पटरी के बीचो बीच पाया गया था और प्रथम दृष्टया लोगों को यह रेल हादसा लगा था जबकि इसकी साजिश की गई थी और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार यह एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत रेल दुर्घटना का रूप दिए जाने की कोशिश थी। बाद में कुछ तथ्य ऐसे सामने आए जिससे रेल हादसे से सभी लोग इनकार करने लगे क्योंकि रेल ने भी कहीं अपने किसी अभिलेख में इस हादसे का उल्लेख नहीं किया है और प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि जिस दिशा से ट्रेन आने की बात की जा रही है उत्कर्ष का सिर भी उसी दिशा में औंधे मुंह पाया गया था और उसके शरीर पर धूल धूसरित कपड़ों से युक्त केवल सिर पर चोट दिखाई पड़ी थी। आनन-फानन में साजिश कर्ताओं ने पंचनामा करवा कर न केवल परिजन को शव देने में जल्दबाजी दिखाई बल्कि उसके दाह संस्कार में भी साजिशकर्ता शामिल रहे और दूसरे दिन से सब इस तरह गायब हो गए जैसे वह केवल उसी दिन के लिए ही पैदा हुए हों। यहां यह भी बताते चलें कि उत्कर्ष के पिता ने जो तहरीर दी है उसमें कुछ लोगों को संदेह के घेरे में लिया है, जिनसे उनका जमीनी विवाद चल रहा था और घटना के समय उत्कर्ष के पास फीस के ₹19000 तथा उसका मोबाइल गायब मिला जो अभी तक स्विच ऑफ बता रहा है | पुलिस टीम ने कुछ नंबरों की सीडीआर निकाल कर उसकी जांच शुरू की है और आगे भी ऐसी सक्रियता दिखाने का आश्वासन दिया है| जो लोग संदेह के घेरे में आए हैं उनकी जांच पड़ताल अति आवश्यक बताई जा रही है और उन पर नजर रखने की भी अपील की गई है क्योंकि घटना के बाद कुछ लोग फरार हैं तो कुछ अपने संदिग्ध बयानों से परिजनों के संदेह को पुख्ता कर रहे हैं। कतिपय स्वार्थी तत्वों द्वारा पीड़ित पत्रकार के परिजनों और वहां घटनास्थल पर मौजूद पुलिस अधिकारियों को शुरू से ही गुमराह करने की कोशिश की गई थी जिनकी जांच अति आवश्यक बताई जा रही है। लोगों का यह भी मानना है कि अंतरात्मा की आवाज के आधार पर यदि जांच टीम पूरी निष्ठा के साथ लग जाएगी तो मामले का जल्द ही खुलासा हो जाएगा क्योंकि यह कहावत भी है कि पुलिस पाताल से भी अपराधियों को ढूंढ निकालती है।

छात्र उत्कर्ष की फाइल फोटो
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