सहारा जीवन न्यूज
लालगंज, प्रतापगढ़।कमलाकर नगरहा सरयूपारी ब्राह्मण धर्मशाला, देउम पश्चिम अंतर्गत बाबा बूढ़ेश्वर नाथ धाम महादेव मंदिर में चल रहे शिव महापुराण कथा के छठे दिन कथावाचक आचार्य योगेश जी महाराज ने शिव विवाह की कथा सुनाई। उन्होंने कहा की आत्मा का परमात्मा से मिलन ही शिव में लीन हो जाना है। भगवान शंकर वैराग्य के देवता माने गए हैं, परंतु शिव ने विवाह भी कर संसार को गृहस्थ आश्रम में रहकर भी वैराग्य व योग धर्म का अनुसरण करने का तरीका दिया।कथावाचक ने कहा कि शिव परिवार में भगवान के वाहक नंदी, मां पार्वती का शेर, गणेश जी का मूसक और कार्तिकेय का वाहन मोर है। शिव के गले में सर्प रहते हैं जो सभी विपरीत विचारधारा के बीच सामंजस्य रखना ही शिव पुराण सिखाता है।भगवान के विवाह के वर्णन में मैनादेवी व हिमालय राज की पुत्री के रूप में मां पार्वती का जन्म लेना। प्रारंभिक काल में शिव की तपस्या करना, उसी दौरान तारकासुर के आतंक को खत्म करने के लिए शिव का तंद्रा भंग हुई। तब जाकर शिव पार्वती का विवाह हुआ ।इसी दौरान भजनों में आऐ री सखी मंगल गाओ री, खुशियाँ मनाओ री। शुभ दिन आयो आज सखी री, मंगल आशा मन को सोहे। श्रद्धालुओं के बीच भजनों की अमृत वर्षा हुई । बाबा बूढ़ेश्वर नाथ धाम मंदिर प्रांगण में शिव बारात भी निकाली गई। इस दौरान रामकृष्ण ‘नन्हे नगरहा’, पण्डित कैलाश पति, सूरज तिवारी, विपुल मिश्र, सौरभ मिश्र, शुभम श्रीवास्तव, आचार्य करुणा सागर तिवारी, पण्डित उपेंद्र मिश्र सहित सैकडों पुरुष, महिलाएं व बच्चे बड़ी संख्या में मौजूद रहे।