सहारा जीवन न्यूज
अमेठी। बड़गांव में राजेश मिश्रा के घर पर ही रही पंचम दिवस की कथा भगवान राघवेंद्र सरकार के अपने गुरुदेव श्री विश्वामित्र के संग जनकपुर प्रवेश से प्रारंभ हुई जिस समय विश्वामित्र अपने शिष्यों संग जनकपुर में प्रवेश हुए राजा जनक देश के परम संत विश्वामित्र के स्वागत के लिए दौड़ पड़े महाराज श्री ने कथा के माध्यम से श्रोताओं से निवेदन किए जब द्वार पर कोई श्रेष्ठ कोई विप्र कोई संत भगवंत पधारें तो हमें राजा जनक जैसा दौड़ कर उनका स्वागत करना चाहिए राजा जनक ने गुरुदेव संग दोनों राजकुमार को जिस मकान में रोका उसका नाम सुंदर सदन था राम के निर्माण में हर गृहस्थ को चाहिए कि अपना निवास सुंदर सदन बनावे मंगल भवन बनावे भगवान राम का गुरुदेव की सेवा में प्रातः फुलवारी जाना माता सीता से भेंट होना गुरुदेव को आकर बताना गुरुदेव के द्वारा सुफल मनोरथ होहि तुम्हारे का आशीर्वाद प्राप्त करना कथा धनुष यज्ञ के संग बढ़ती हुई राजा जनक एवं लक्ष्मण के संवाद पर पहुंची जहां पर लक्ष्मण द्वारा कुछ कठोर वचन जनक जी को बोला गया परंतु वह किसी एक व्यक्ति को केंद्रित करके नहीं बल्कि राम रूपी प्रकाश की स्थापना के लिए समस्त समाज को ज्ञान देने का कार्य था अहंकार का प्रतिरूप धनुष को तोड़कर के राम जैसे ज्ञानी पुरुष ने भक्ति रूपी सीता के संग पाणिग्रहण किया राम सीता का मिलन ज्ञान और भक्ति के मिलन जैसा है परंतु सदैव ध्यान रहे लक्ष्मण रुपी वैराग्य की आवश्यकता जीवन में पड़ेगी तभी ज्ञान भक्ति की दिशा में बढ़ पाएगा और इन तीनों का मिलन श्रेष्ठ गुरु के चरणों से ही संभव है आज की कथा में भगवान राम एवं सीता के मनमोहक झांकी संग दिव्य विवाह उत्सव मनाया गया।