प्रयागराज। जनपद के यमुनानगर में बारा खास में चल रही पांच दिनी रामकथा का समापन मंगलवार को हुआ। कथा व्यास काशी नरेशाचार्य महाराज ने अंतिम दिवस कर्म और भाग्य की विस्तृत व्याख्या करते हुए कहा कि परमात्मा उन्हीं की सहायता करता है, जो अपनी सहायता स्वयं करता है। यह कर्म की पराकाष्ठा है। जो केवल भाग्यवादी होते हैं। वह अक्सर अकर्मण्य होते हैं। करना कुछ नहीं चाहते और भाग्य पर निर्भर रहते हैं। ऐसे लोग असमर्थ और मन से टूटे हुये लोग होते हैं। किन्तु जिन्होनें द्रौपदी को जाना, सुग्रीव को जाना, केवट को जाना, सुदामा को जाना, कबीर और नानक को जाना, श्री कृष्ण और श्री राम को जाना ,वो भाग्यवादी नहीं, अपितु कर्मवादी हुये। कर्म के संग भक्ति जुड़ सकती है,भाग्य नहीं। पीठासीन कथावाचक विवेक कृष्ण भारद्वाज जी महाराज ने बताया कि जब कर्म करोगे और साथ मे ईश्वर एवं गुरु पर भरोसा भी रखोगे तभी सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेगा। तुम सदैव शांतिपूर्वक आनन्दमय जीवन व्यतीत करोगे। कथा आयोजकों में मुन्नीलाल शर्मा एवं रोशनलाल शर्मा ने सभी पधारे हुए भक्तों का आभार जताया।
इस दौरान कथा सुनने वालों में शांतिस्वरूप मिश्रा, काशी प्रसाद त्रिपाठी, सुमन्त भार्गव, महेश प्रसाद त्रिपाठी, बहादुर शर्मा, राकेश जी कुशवाहा, सुबेदार कुशवाहा, हर्षलाल द्विवेदी, शिवकेश शर्मा, विधायक चौहान, रामप्रताप चौहान सहित बड़ी संख्या में महिलाएं व भक्तजन उपस्थित रहे। मंच संचालन हरिकेश शर्मा ने किया।