सहारा जीवन न्यूज
अमेठी। 20 सितंबर 2022 जनपद में आगामी 21 सितंबर को अल्जाइमर डे का आयोजन किया जाएगा। इस संबंध में जनपद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि अल्जाइमर डे पर जनपद के समस्त चिकित्सा इकाइयों पर आने वाले मरीजों व तीमारदार को अल्जाइमर्स से संबंधित बीमारियों एवं लक्षण के बारे में ओपीडी में जानकारी दी जाएगी। जिस हेतु राज्य स्तर से प्राप्त दिशा निर्देश के क्रम में संबंधित चिकित्सा इकाइयों के प्रभारियों को आयोजन हेतु पत्र जारी कर दिए गए है। जनपद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा विमलेंदु शेखर ने बताया कि अल्जाइमर रोग ‘भूलने का रोग’ है। इसका नाम अलोइस अल्जाइमर पर रखा गया है । इस बीमारी के लक्षणों में याददाश्त की कमी होना, निर्णय न ले पाना, बोलने में दिक्कत आना तथा फिर इसकी वजह से सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं की गंभीर स्थिति आदि शामिल हैं। रक्तचाप, मधुमेह, आधुनिक जीवनशैली और सर में कई बार चोट लग जाने से इस बीमारी के होने की आशंका बढ़ जाती है। अमूमन 60 वर्ष की उम्र के आसपास होने वाली इस बीमारी का शुरूआती दौर में नियमित जाँच और इलाज से इस पर काबू पाया जा सकता है। मस्तिष्क के स्नायुओं के क्षरण से रोगियों की बौद्धिक क्षमता और व्यावहारिक लक्षणों पर भी असर पड़ता है।
इस संबंध में जनपद के अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं नोडल अधिकारी मानसिक स्वास्थ्य डा संजय कुमार ने बताया कि हम जैसे-जैसे बूढ़े होते जाते हैं, हमारी सोचने और याद करने की क्षमता भी कमजोर होती जाती है। लेकिन इसका गंभीर होना और हमारे दिमाग के काम करने की क्षमता में गंभीर बदलाव उम्र बढ़ने का सामान्य लक्षण नहीं है। यह इस बात का संकेत है कि हमारे दिमाग की कोशिकाएं मर रही हैं।
अल्जाइमर का मरीज बेहद निष्क्रिय, टीवी के सामने घंटों बैठनेवाला, बहुत अधिक सोनेवाला या सामान्य गतिविधियों को पूरा करने में अनिच्छुक हो सकता है।
यदि आप खुद में या अपने किसी परिजन में इनमें से कोई चेतावनी संकेत देखें, तत्काल किसी चिकित्सक से संपर्क करें। अल्जाइमर या डीमेंशिया पैदा करने वाली अन्य गड़बड़ियों की समय रहते पहचान और उनका इलाज, सहयोग तथा समर्थन बेहत महत्वपूर्ण है।
जनपद के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा बी पी अग्रवाल ने बताया कि डीमेंसिया से पीड़ित व्यक्ति नाटकीय ढंग से बदल सकता है। वह बेहद उलझनपूर्ण, संदेह करनेवाला, भयभीत या किसी परिजन पर अत्यधिक निर्भर बन जाता है। उन्होंने बताया कि संयुक्त जिला चिकित्सालय में इलाज एवं परामर्श और समुचित इलाज हेतु मनो चिकित्सक भी उपलब्ध है।
मनो चिकित्सक डा वी वी सिंह ने बताया कि हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और धूम्रपान जैसे कार्डियोवस्कुलर जोखिम कारक इस रोग के शुरू होने और बिगड़ने के एक उच्च जोखिम के साथ जुड़े हुए हैं। रक्तचाप की दवाएँ जोखिम को कम कर सकती हैं।