सहारा जीवन न्यूज
अमेठी।क्षय रोगियों को खोजने के लिए जनपद में विशेष अभियान शुरू किया गया है।इस कार्य क्रम के तहत मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय के सभागार में सीएचओ को विधिवत प्रशिक्षण दिया गया।कार्यक्रम की शुरुवात जनपद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा विमलेंदु शेखर ने किया। उन्होंने कहा कि क्षय रोगियों की पहचान के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी( सीएचओ) निक्षय आईडी बनाएंगे ताकि वह निक्षय पोर्टल पर जाकर क्षय रोगियों का पंजीकरण भी कर सकें और तत्काल उपचार शुरू करा सकें। इस हेतु आशा और एएनएम घर घर जाकर क्षय रोगियों के संपर्कों और लक्षण युक्त लोगों के स्पुटम एकत्र करेंगी। सीएचओ के माध्यम से स्पुटम जांच के लिए नमूने टीबी केंद्र भेजे जाएंगे। अपर जिला क्षय रोग अधिकारी डा. पीके उपाध्याय ने बताया कि 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने के लिए प्रारंभिक अवस्था में ही क्षय रोगियों की पहचान जरूरी है ताकि तत्काल उनका उपचार शुरू कर क्षय रोग के फैलाव को रोका जा सके। टीबी दो प्रकार की होती है। पल्मोनरी टीबी और एक्सट्रा पल्मोनरी टीबी। पल्मोनरी टीबी में फेफड़े संक्रमित होते हैं, जबकि एक्सट्रा पल्मोनरी टीबी शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित करती है। पल्मोनरी टीबी का संबंध फेफेड़ों से होने के कारण यह सांस के जरिए एक से दूसरे व्यक्ति में फैलती है। इसलिए इसका प्रसार अधिक है। जल्दी उपचार शुरू कर हम इसका फैलाव रोक सकते हैं। प्रशिक्षक अरविंद तिवारी ने बताया कि इस विशेष अभियान में सीएचओ क्षय रोगियों के संपर्क में आने वालों (परिजनों) की भी जांच कराएंगे। उनके स्पुटम की जांच कर क्षय रोग संक्रमितों की प्रारंभिक अवस्था में ही पहचान कर उनका उपचार शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया हर फेफड़ों की टीबी का रोगी अपने संपर्क में आने वाले 10 से 15 लोगों को संक्रमित करता है। क्षय रोगी मॉस्क का प्रयोग कर अपनों को संक्रमण से बचा सकता है। जल्दी उपचार शुरू कराना भी क्षय रोगी के करीबियों को संक्रमण से बचाने में कारगर है। इसलिए दो सप्ताह से अधिक खांसी, खांसी में बलगम या खून आना, बुखार रहना, रात में सोते समय पसीना आना, वजन और भूख कम होना जैसे लक्षण होने पर नजदीकी टीबी केंद्र पर जाकर निशुल्क बलगम जांच कराएं। इस मौके पर डीके श्रीवास्तव,अजय सिंह सहित काफी संख्या में सीएचओ मौजूद रहे।