सहारा जीवन न्यूज
सुल्तानपुर।स्तनपान एक जरूरी प्रक्रिया है स्तनपान जितना बच्चे के लिए महत्वपूर्ण है उससे कई गुना महत्व मां को भी होता है। मां के शरीर में रहते हुए बच्चे को हर तरह का पोषक पदार्थ मिलता रहता है ऐसे शरीर के भीतर वह एक अलग वातावरण में रहता है ऐसे में शरीर से बाहर आने के बाद उसे इन्फेक्शन होने का खतरा होता है मां का दूध शिशुओं के लिए एक संपूर्ण आहार है इसमें मौजूद एंटीबॉडीज शिशु को होने वाले बीमारियों से बचाते हैं 6 महीने तक शिशुओं को केवल मां का दूध ही देना चाहिए। शिशु को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, पानी यह सारे पदार्थ उसे मां के दूध में ही मिल जाते हैं। अगर मां बच्चे को अपने दूध के अलावा कुछ और देती है तो इससे बच्चे में डायरिया होने का खतरा बढ़ता है। स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ.आस्था त्रिपाठी बताती है कि स्तनपान से शिशु का समुचित विकास होता है। मां की त्वचा का संपर्क शिशु के तापमान को बनाए रखता है पहला गाढ़ा दूध कोलोस्ट्रम शिशु को बीमारियों से बचाता है। शिशु को दिन भर में 10 से 15 बार स्तनपान कराना चाहिए। डॉ.मानसी तोमर बताती है कि स्तनपान कराने से बच्चों में बीमारियों के खतरा होने का डर नहीं रहता है। और मां के दूध से बच्चे में दस्त रोग, निमोनिया, कान व गले में संक्रमण आदि का खतरा नहीं होता है। शिशु और मां के बीच लगाव भी बढ़ता है। बच्चे के पैदा होने के एक घंटे के अंदर स्तनपान की शुरुआत मां और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद होता है। छः माह तक केवल मां का दूध शिशु के लिए अमृत है। छः माह के उपरांत स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की शुरुआत करना चाहिए। दो वर्ष या उसके बाद भी स्तनपान जारी रखना चाहिएद्य स्तनपान कराने से मां को भी लाभ होता है शिशु को स्तनपान कराने से रक्त स्राव का खतरा कम होता है स्तन,गर्भाशय,अंडाशय के कैंसर के खतरे कम होते हैं।