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किसानों एवं उद्यमियों के साथ डीएम व सीडीओ ने की बैठक

सहारा जीवन न्यूज
अमेठी। औद्योगिक इकाईयों की आवश्यकतानुसार जनपद के किसानो द्वारा चिन्हित फसलों की खेती एवं कृषि क्षेत्र में स्किल डिमांड की पहचान हेतु जिलाधिकारी राकेश कुमार मिश्र की अध्यक्षता में आज कलेक्ट्रेट सभागार में बैठक आयोजित की गयी। इस बैठक में मुख्य विकास अधिकारी डा. अंकुर लाठर, उपायुक्त उद्योग राजीव कुमार पाठक, जिला कृषि अधिकारी अखिलेश पांडेय, उप कृषि निदेशक सत्येंद्र चौहान, लीड बैंक मैनेजर विमल कुमार, कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि क्षेत्र से जुड़े हुए उद्यमी, एवं प्रगतिशील किसानों ने प्रतिभाग किया। बैठक का उद्देश्य हल्दी, धनिया, मक्का, शर्बती गेहूँ , इत्यादि को जनपद अमेठी में स्थापित कृषि सम्बंधित औद्योगिक इकाईयों की खपत एवं गुणवत्ता मानकों के अनुसार जनपद के किसानों द्वारा उगाये जाने की कार्य योजना बनाने का था। साथ ही, किसानों की आय वृद्धि हेतु ऐसी फसलों की पहचान पर चर्चा की गयी जो कि अमेठी के जलवायु, मृदा स्वास्थ्य, तथा स्थानीय औद्योगिक मांग के अनुसार उपयुक्त हों। बैठक को आरम्भ करते हुए जिलाधिकारी ने जिले के प्रगतिशील किसानों से जनपद अमेठी के औद्योगिक इकाईयों के कच्चे माल की खपत के अनुसार कुछ फसल जैसे मक्का, धनिया, शर्बती गेहूँ, हल्दी, इत्यादि की खेती करने की अपील की। कुछ किसानों ने यह बताया कि पूर्व में उन्होंने ऐसी कुछ फसलें जैसे मक्का एवं धनिया की खेती की थी, परन्तु तकनीकी ज्ञान, कौशल प्रशिक्षण, एवं बाजार संपर्क के अभाव में भारी नुकसान उठाना पड़ा था। इस समस्या पर जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी ने औद्योगिक इकाईयों एवं किसानों से आपस में समन्वय स्थापित करते हुए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के माध्यम से इन फसलों को औद्योगिक गुड़वत्ता के मानकों के अनुसार उगाने की अपील की। साथ ही जिला कृषि अधिकारी को निर्देशित किया गया की कृषि विज्ञान केंद्र एवं आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के माध्यम से मृदा स्वास्थ्य, एवं बीजों की गुड़वत्ता तथा फसलों के उत्पादकता की समीक्षा करते हुए कुछ नए फसलों के उत्पादन की विस्तृत कार्य योजना बनाये। राजेश मसाला, साल्वा एग्रो हैचरीस, सुगुना फूड्स, तथा अन्य कृषि सम्बंधित उद्योगों के प्रतिनिधियों ने यह आश्वासन दिया कि इन फसलों को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के माध्यम से उगाने हेतु हर संभव प्रयास किया जाएगा तथा एनर्जी व प्रोटीन के मानकों के अनुसार बीज उपलब्ध कराने, बीज के भण्डारण, फसलों की देखभाल, एवं पोस्ट हार्वेस्ट प्रबंधन में भी किसानों की मदद की जाएगी। मुख्य विकास अधिकारी ने किसानो से यह अपील किया कि वे किसान उत्पादक संगठनों एवं महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा उत्पादन किये जाने वाले वर्मी-कम्पोस्ट खाद का उपयोग फल एवं सब्जियों की खेती में करें ताकि आर्गेनिक फार्मिंग के माध्यम से कृषि उत्पादों की गुड़वत्ता को बढ़ाया जा सके एवं आय में वृद्धि की जा सके। साथ ही, फूल की खेती कर रहे कुछ किसानों को सुझाव दिया कि वे गुलदस्ते एवं फूल का एक स्टोर भी खोल सकते हैं। जनपद में हो रहे पोटाश की कमी का संज्ञान लेते हुए मुख्य विकास अधिकारी ने सम्बंधित अधिकारयों को वर्तमान मांग के अनुसार आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु निर्देश दिए।

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