सहारा जीवन न्यूज
अमेठी, 23 जून 2022 । तिलोई विकास खंड के भदमर निवासी दीपक कुमार आज लोगो के लिए प्रेरणा साबित हो रहे है। उन्होंने टीबी की नियमित दवा तथा पौष्टिक आहार लिया और स्वस्थ हो गए। अब वह टीबी चैंपियन बन कर क्षय रोगियों का फ़ॉलोअप करते हुए उन्हें नियमित दवा खाने और चिकित्सक के सलाह के बिना दवा न छोड़ने की सलाह दे रहे हैं। साथ ही टीबी से बचने के लिए जन समुदाय को लक्षण बता कर जागरूक भी कर रहे हैं।
दीपक कुमार ने बताया कि करीब तीन वर्ष पूर्व मुंबई गया था और वहीं बीमार हो गया। मुंबई से वापस लौटने के बाद सीएचसी तिलोई में चिकित्सक को दिखाया। चिकित्सक ने एक्स-रे कराने की सलाह दी। एक्स-रे कराया तो रिपोर्ट से पुष्टि हुई कि वह टीबी की मरीज हैं। टीबी उपचार पर्यवेक्षक अजय कुमार सिंह से अवगत कराया। उसके बाद सीएचसी से टीबी की दवा मिली और साथ ही पौष्टिक आहार लेते रहने की सलाह भी। जब तीन महीना दवा खा ली तो सेहत में अपेक्षित सुधार दिखा। वजन बढ़ने के साथ आवाज भी बदलने लगी। इलाज के दौरान उन्हें निक्षय पोषण योजना के तहत प्रति माह 500 रुपये भी मिले। इस पैसे को भी सूखा फल आदि पर खर्च किया, जिससे सेहत में और तेजी से सुधार हुआ। छह माह तक नियमित दवा का सेवन किया। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
टीबी उपचार पर्यवेक्षक तिलोई अजय प्रताप सिंह ने बताया कि दीपक कुमार का छह माह तक इलाज चला। नियमित दवा और पौष्टिक आहार लिया। दीपक कुमार में जागरूकता देख विभाग ने उन्हें टीबी चैंपियन बनाया है। अब वह टीबी रोगियों का ठीक से फ़ॉलोअप कर टीबी रोगियों के घर दवा भी पहुँचा रहे है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डा राम प्रसाद ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति को लगातार 14 दिनों तक खांसी हो, बुखार आता हो, खांसी में खून आता हो, वजन घट रहा हो, थकान महसूस होती हो, सांस लेने में तकलीफ होती हो तो उसे जांच करानी चाहिए क्योंकि यह टीबी के लक्षण हैं।
उन्होंने बताया कि जनपद में सीएचसी अमेठी, संग्रामपुर, गौरीगंज, भेटुवा, भादर, शिवगंज, तिलोई, जामो, सिंहपुर, फुरसतगंज, जायस, भटगंवा, शाहगढ़, जगदीशपुर, मुसाफिरखाना और रानीगंज में बलगम की जांच नि:शुल्क किया जाता है। उन्होंने बताया कि एक जनवरी से 31 मार्च तक 1098 लक्षण युक्त लोगो को चिन्हित किया गया है। जनपद में 967 लोगो का इलाज चल रहा था जिसमे 786 टीबी मरीज अब तक ठीक हो चुके है। उन्होंने बताया कि अभी तक नि:क्षय पोषण योजना के तहत करीब 17.5 लाख रूपए का भुगतान भी टी.बी. मरीजों के खाते में किया गया है।