-लक्षण नजर आने पर स्वास्थ्य विभाग को सूचित करें
सहारा जीवन
सुल्तानपुर, 16 जून 2022 । कई बीमारियाँ ऐसी हैं जिनकी रोकथाम और बचाव टीकाकरण से किया जा सकता है । इनमे से भी कुछ बीमारियाँ ऐसी होती हैं जो नोटीफाईबल वैक्सीन प्रिवेंटिबल डिजीज (एन.वी.पी.डी.) में आती हैं । ज़रूरत है ऐसी बीमारियों के लक्षणों को बिना नज़रंदाज़ किये, रोग की आशंका होते ही उसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को दी जाए । यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. धर्मेन्द्र कुमार त्रिपाठी का ।
डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि टिटनेस, गलघोंटू, खसरा, फ्लैसिड पैरालिसिस और काली खांसी ऐसी बीमारियाँ हैं जिनसे समय पर टीकाकरण से बचाव हो सकता है । इसके साथ ही यह सभी बीमारियाँ नोटीफाईबल वैक्सीन प्रिवेंटिबल डिजीज (एन.वी.पी.डी.) में आती हैं, डब्ल्यू.एच.ओ. नेशनल पब्लिक हेल्थ सर्विलांस प्रोजेक्ट के तकनीकी सहयोग से इन बीमारियों की निगरानी की जाती है ।
नोटीफाईबल वैक्सीन प्रिवेंटिबल डिजीज (एन.वी.पी.डी.) और ध्यान देने वाली बातें –
एकाएक लुंज-पुंज लकवा (एक्यूट फ्लैसिड पैरालिसिस) – पिछले छह माह के दौरान 15 वर्ष तक का कोई भी बच्चा जिसके शरीर का कोई भी अंग किसी भी कारण से अचानक लुंज-पुंज या कमज़ोर पड़ गया हो ।
खसरा (मीज़ल्स) – यदि किसी व्यक्ति में बुखार के साथ चकत्ते या लाल दाने हों ।
गलघोंटू (डिप्थीरिया) – यदि किसी व्यक्ति को बुखार व गले में दर्द या टॉन्सिल का लाल होना या खांसी के साथ आवाज़ भारी हो जाना एवं टॉन्सिल या उसके आसपास सफ़ेद गहरा स्लेटी थक्का या झिल्ली हो ।
काली खांसी (परट्यूसिस) – यदि किसी व्यक्ति को कम से कम दो सप्ताह से खांसी हो एवं इसमें से कोई भी एक लक्षण हो- खांसने के बाद सांस लेने की ज़ोरदार आवाज़ होना या खांसने के तुरंत बाद उल्टी होना, अन्य स्पष्ट चिकित्सीय कारण जैसे अस्थमा या टी.बी. न हो।
नवजात टिटनस (नियोनेटल टिटनेस) – जीवन के पहले दो दिन के दौरान चूसने एवं रोने की सामान्य क्षमता वाला कोई नवजात जिसे तीन से 28 दिन की आयु के बीच सामान्य रूप से माँ का दूध न चूस पाना या न रोना और शरीर का कड़ापन/ अकड़न/ चमकी का लक्षण हो।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. ए.एन.राय ने कहा कि नेशनल पब्लिक हेल्थ सर्विलांस प्रोजेक्ट के तहत कई बीमारियों की निगरानी की जाती है । इनमें से भी बहुत सी बीमारियाँ ऐसी हैं जिनकी रोकथाम के लिए वैक्सीन उपलब्ध हैं ।