सहारा जीवन
अमेठी – टीकरमाफी में स्थित स्वामी परमहंस आश्रम में गौसेवक डंगरदास का 57 वर्ष की उम्र में मंगलवार को निधन हो गया।
डंगरदास विकासखंड भादर के गाजीपुर गाँव के निवासी थे।अपने जीवन के मात्र 25 वर्ष ही गाँव में रहे।उनकी मति भ्रष्ठ होने के कारण उनके घर वाले उन्हें स्वामी परमहंस आश्रम पर छोड़ दिया।जहां इन्होंने जीवन को संत और महात्माओं के बीच रहकर गौसेवा के साथ बिताया।
आश्रम में स्थित गौशाला में गौसेवक के रूप में विख्यात डंगरदास पूरे आश्रम में सबसे अच्छे सेवक के रूप में जाने जाते थे।आश्रम के लोग बताते है ये आश्रम पर आने के बाद कभी अपने घर दोबारा नहीं गये,इन्होंने लगातार 32 वर्ष तक गौसेवा की।
डंगरदास यहीं आश्रम पर सेवा करते-करते अपने जीवन को त्याग दिया।मौनी महाराज के निर्देशन में उनका अंतिम संस्कार किया गया।महाराज ने उन्हें संत की संज्ञा दी।उन्होंने कहा डंगरदास वास्तव में एक सच्चे संत थे जिन्होंने स्वामी जी की सेवा लंबे समय तक की।तीन दिन पहले डंगरदास की माता की मृत्यु हो गयी थी।उसके एक दिन बाद उनके छोटे भाई सियाराम यादव की मृत्यु हो गयी।उसके एक दिन बाद ही डंगरदास ने स्वयं अपने शरीर को त्याग दिया।पिछले चार दिन के भीतर एक ही घर के तीन लोगों की मृत्यु से परिवार व गाँव मे शोक का माहौल छाया हुआ है। कथा व्यास अनिल त्रिपाठी,ज़ि.प.स.जगन्नाथ पांडेय,रवींद्र सिंह,संजय सिंह, मुन्ना सिंह (बड़े बाबू),राम पाल पूर्व बीडीसी,कपिल पांडेय,विनोद त्रिपाठी,सत्यप्रकाश, कुलदीप, रामचंद्र, दिनेश यादव समेत क्षेत्र के सैकड़ो लोग अंतिम यात्रा में शामिल हुए।