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भागवत कथा का सुनना गंगा स्नान से भी ज्यादा महत्वपूर्ण -मुकेश आंनद महारज

सहारा जीवन अमेठी- ज़िले के संग्रामपुर विकास खण्ड पूरे इक्छा सरैया बड़गाँव में आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कथा वाचक स्वामी मुकेश आनंद जी महाराज ने कहा कि जैसे नमक के बिना सब्जी रसहीन और स्वादहीन हो जाती है। वैसे ही भक्ति के बिना जीवन रसहीन हो जाता है। कथा सुनने से जीवन की व्यथा मिट जाती है। भक्ति, ज्ञान, वैराग्य एवं त्याग से ही भागवत श्रवण का लाभ मिलता है। भागवत कथा का सुनना गंगा स्नान से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। क्योंकि गंगा स्नान से पाप समाप्त होते है। लेकिन भागवत सुनने से पाप करने की प्रवृति ही समाप्त हो जाती है। आगे कथावाचक मुकेश आनन्द महाराज ने कहा कि जीवन में यदि मान, बड़ा पद या प्रतिष्ठा मिला जाए तो उसे ईश्वर की कृपा मानकर भलाई के कार्य करना चाहिए, लेकिन यदि उसका जीवन में किंचित मात्र भी अभिमान हुआ तो वह पाप का भागीदार बना देता है। कहा कि अहंकार से भरे राजा परीक्षित ने जंगल में साधना कर रहे शमीक ऋषि के गले में मरा हुआ सर्प डाल दिया। परिणामस्वरूप राजा परीक्षित को एक सप्ताह में मृत्यु का शाप मिला। जब परीक्षित ने अपने सिर से स्वर्ण मुकुट को उतारा तो उन पर से कलियुग का प्रभाव समाप्त हो गया और उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। कथावाचक ने कहा कि जब जब भगवान के भक्तों पर विपदा आती है तब भगवान उनके कल्याण के लिए सामने आते हैं। परीक्षित को भवसागर से पार लगाने के लिए अब भगवान शुकदेव के रूप में प्रकट हो गए और श्रीमद्भागवत कथा सुनाकर परीक्षित को अपने चरणों में स्थान प्रदान किया , कथा के मुख्य यजमान विजय मिश्र, राजेश मिश्र एडवोकेट है इस मौके पर
हरियाली पान्डेय, देव नरायण सिह, राय साहब सिंह राम देव यादव, राजकुमार पवन अखिलेश सोनी, अजुग पाण्डेय, विजेन्द्र शुक्ल,राजेश पाण्डेय,राजीव शुक्ला, सैकड़ों लोग उपस्थित रहे

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