सहारा जीवन न्यूज
लखनऊ। प्रदेश मुख्यालय स्थित नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (नाईपर), रायबरेली द्वारा भविष्य में दवाओं के निर्माण एवं संवर्धन के बारे में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। दवाओं पर होने वाली रिसर्च में नवाचारों की महत्ता को समझने के लिए इस सेमिनार में देश के अलग-अलग क्षेत्रों से आए 200 से ज्यादा प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। सरोजिनीनगर स्थित नाईपर के ट्रांजिट कैंपस में आयोजित इस सेमिनार में औषधीय क्षेत्र के जाने-माने विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों का ज्ञानवर्धन किया और उन्हें नई-नई रिसर्च करने के लिए प्रेरित किया।
राष्ट्रीय सेमिनार में आमंत्रित विशिष्ट अतिथि सीएसआई आर- आईआईटीआर, लखनऊ के निदेशक डॉ. भास्कर नारायण ने कहा कि बीमारियों के संपूर्ण इलाज में आने वाली चुनौतियों को आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए खत्म किया जा सकता है। उन्होंने नाईपर के साथ साझा रिसर्च कार्यों में भागीदारी की इच्छा व्यक्त की। विशिष्ट वक्ता के रूप में हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. सुरेश पी. व्यास ने अपने वक्तव्य से दर्शक दीर्घा में उपस्थित सभी प्रतिभागियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। विज्ञान एवं आध्यात्मिक दर्शन निहित अपने भाषण में उन्होंने भावी पीढ़ियों को अनुसंधान में अग्रणी भूमिका निभाने का आह्वान किया। इसके उपरान्त देश के कई नामी संस्थानों से आए 15 से ज्यादा विशेषज्ञ वक्ताओं ने अलग-अलग थीम पर अपने लेक्चर दिए।
सेमिनार में आए शोधकर्ताओं ने पोस्टर प्रजेंटेशन के जरिए नई तकनीकों, थेरेपी एवं मेडिकल डिवाइसेस को प्रदर्शित किया। नाईपर-रायबरेली की निदेशक प्रो. शुभिनी सराफ ने विभिन्न राज्यों से आए छात्रों, शोधार्थियों एवं शिक्षाविदों का धन्यवाद दिया। उन्होंने उम्मीद जताई कि विभिन्न सत्रों में हुए निर्धारित व्याख्यानों में फार्मेसी के विद्यार्थी एवं शोधार्थी कई तरह से लाभान्वित हुए होंगे।
वर्तमान में नाईपर-रायबरेली का संचालन लखनऊ के सरोजिनीनगर स्थित एक ट्रांजिट परिसर से किया जा रहा है। संस्थान के स्थायी परिसर का निर्माण कार्य जोरों पर है और मार्च 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। नाईपर औषधीय अनुसंधान के क्षेत्र में राष्ट्रीय महत्व के अग्रणी संस्थानों में से एक है। भारत सरकार ने नाईपर को ‘राष्ट्रीय महत्व का संस्थान’ घोषित किया है।