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बेटे को पाने के लिए पिता ने प्रशासन से लगाई गुहार,

अमेठी। सोशल मीडिया पर जिले की एक खबर काफी सुर्खियों में चल रही है। जिसमें साधु के बेस में नवयुवक सारंगी बजाकर गाना गाता हुआ दिखाई दे रहा है। बगल में बैठी दो महिलाएं फूट-फूट कर रो रही है। आसपास गांव की भारी भीड़ जमा है। जिले के जायस थाना क्षेत्र अंतर्गत खरौली गांव के रहने वाले रतीपाल सिंह के मकान के सामने का है। जहां पर 22 वर्ष पूर्व लापता हुए रतिपाल के 11 वर्षीय पुत्र पिंकू सिंह उर्फ अरुण कुमार सिंह अचानक योगी के भेस में आ गए हैं। लेकिन अब उसे प्राप्त करने के लिए पिता रतीपाल सिंह को मोटी रकम खर्च करनी पड़ेगी। जिसके लिए मठ में 3000 साधुओं के भोजन वस्त्र इत्यादि की व्यवस्था हेतु पहले 360 रुपए प्रति साधु की दर से कुल 10 लाख 80 हजार रुपए की डिमांड की गई। जब इतना पैसा दे पाने में रतीपाल ने असमर्थता जाहिर की तो इसमें भी डिस्काउंट किया गया। जो प्रति साधु 360 रुपए निर्धारित किया गया था उसे घटाकर 120 रुपए कर दिया गया। इस प्रकार अब उसे 3 लाख 60 हज़ार रुपए देने के बाद ही अपना खोया हुआ पुत्र वापस मिल सकेगा। लेकिन अभी इस बात में भी संशय बना हुआ है क्योंकि जब पिता रतीपाल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पैसे की डिमांड गूगल पे के माध्यम से की जा रही है। जिसमें मुझे संदेह है की पैसा भी चला जाएगा और मेरा पुत्र भी नहीं मिलेगा। जानकारी के अनुसार जिले के जायस थाना क्षेत्र अंतर्गत खरौली गांव के रहने वाले रतीपाल सिंह अपने परिवार के साथ नई दिल्ली के खजूरी थाना क्षेत्र अंतर्गत सहादतपुर में रहा करते थे। रतीपाल सिंह की दो शादियां हुई थी। पहले शादी संग्रामपुर थाना क्षेत्र के सहजीपुर गांव में हुई थी। उससे सिर्फ यही एक लड़का पिंकू उर्फ अरुण कुमार सिंह का जन्म हुआ था। जब पिंकू 6 वर्ष का था तभी उसकी मां का बीमारी के चलते स्वर्गवास हो गया। इसके बाद पिता ने अपनी दूसरी शादी माया देवी के साथ कर ली। वर्तमान समय में दूसरी शादी से रतीपाल के दो पुत्री और दो पुत्र है। रतीपाल ने दोनों पुत्री की शादी कर दिया है जो अपने-अपने घर पर हैं । जबकि दोनों पुत्र दिल्ली में रहकर पढ़ाई करते हैं। जिसमें से एक नवी क्लास में है तो दूसरा 12वीं क्लास में पढ़ रहा है। वर्ष 2002 में जब पिंकू लगभग साढे 11 वर्ष का था तो दिल्ली में अपने घर के सामने कंचा गोली खेल रहा था। जिस पर सौतेली मां ने पिंकू को डांटते हुए खरी खोटी सुनाई। मां की डांट से नाराज होकर पिंकू घर छोड़कर चला गया। फिर वापस कभी नहीं आया। पिता ने बहुत खोजबीन किया लेकिन पिंकू का कहीं कुछ पता नहीं चल सका। पिता के द्वारा खजूरी थाना में गुमशुदगी भी दर्ज कराई गई लेकिन पुलिस भी पिंकू को नहीं ढूंढ पाई। 22 साल बाद अचानक 27 जनवरी 2024 को साधु के वेश में एक नवयुवक रतीपाल के पैतृक घर खरौली में पहुंचकर खुद को रतीपाल का खोया हुआ पुत्र पिंकू उर्फ अरुण कुमार सिंह बताया। पहले दिन तो वह साधु अकेले ही रतीपाल के घर गया। लेकिन दूसरे दिन उसका एक साथी और आ गया। साधु द्वारा घर वालों का नाम ले ले कर गीत गाया गया और तमाम बातें घर वालों को बताई गई। जिससे घर वालों को विश्वास हो गया कि यह इसी घर का खोया हुआ वारिस है। जिसके पास रतीपाल के भतीजे दीपक सिंह ने अपने चाचा को फोन कर इसकी सूचना दिया तब रतीपाल आनन फानन में नई दिल्ली से अपने खोए हुए पुत्र से मिलने की चाहत में गांव पहुंचे। साथ में उनकी दूसरी पत्नी अर्थात पिंकू की सौतेली मां भी गांव आई। गांव पहुंचकर रतीपाल ने नवयुवक साधु से मुलाकात कर तमाम जानकारी लेते हुए खुद को तसल्ली किया । उसके बाद उसके रुकने को कहा। लेकिन वह तैयार नहीं हुआ और लगभग एक सप्ताह व्यतीत करने के बाद गांव में भिक्षा मांग कर वापस चला गया। बताया जाता है कि भिक्षा में उसे लगभग 15 क्विंटल अनाज और बहुत सारे रुपए भी मिले थे। पिता रतीपाल द्वारा उसको कपड़े और मोबाइल भी खरीद कर दिया गया था।रतीपाल सिंह द्वारा खरीद कर दिए गए मोबाइल से नवयुवक साधु बराबर घर के संपर्क में है। फोन पर वह अपने पिता से लगातार कह रहा है कि पापा हमें छुड़ा लो, पापा हमें वापस बुला लो। जिसके लिए वह लगातार पैसे की डिमांड कर रहा है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि नवयुवक साधु द्वारा घर वापस आने के लिए मठ में 3 हजार साधुओं का भंडारा आदि करने हेतु जहां पर 10 लाख 80 हजार रुपए की डिमांड की गई । जब परिजनों द्वारा कितने अधिक रुपए देने में असमर्थता जाहिर की गई तब इसे घटाकर 3 लाख 60 हज़ार रुपए कर दिया गया। अब इसको गूगल पे पर अथवा फोन पे के माध्यम से प्राप्त करना चाह रहा है। पिता को वह बताता है कि मैं झारखंड के पारसनाथ में हूं । जबकि उसके मोबाइल का लोकेशन प्रयागराज दिख रहा है। ऐसे में पिता के द्वारा स्थानीय थाने जायस में पुलिस को तहरीर देकर पूरे मामले में मदद की गुहार लगाई गई है।

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