सहारा जीवन न्यूज
बंगलूर(कर्नाटक)। जीकेसी ने शिकागो में विश्व धर्म संसद में कायस्थ शिरोमणि स्वामी विवेकानन्द के भाषण की 129वीं वर्षगांठ के अवसर पर विश्व विजय दिवस मनाया।इस दिन 1893 में, उन्होंने देवी सरस्वती को नमन किया और सभी एकत्रित लोगों को ‘‘अमेरिका की बहनों और भाइयों‘‘ के रूप में संबोधित करके अपना भाषण शुरू किया। इन शब्दों के उच्चारण पर, विवेकानन्द को भीड़ से दो मिनट का स्टैंडिंग ओवेशन मिला। उन्होंने ‘‘दुनिया में भिक्षुओं के सबसे प्राचीन आदेश, संन्यासियों के वैदिक आदेश, एक धर्म जिसने दुनिया को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति दोनों सिखाया है‘‘ की ओर से सबसे युवा राष्ट्र का अभिवादन करके अपना भाषण शुरू किया।अपूर्व प्रसाद की अध्यक्षता में जीकेसी कर्नाटक यूथ सेल ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया और जीकेसी कर्नाटक के अन्य सदस्यों ने भाग लिया और इस दिन को चिक्कनगमंगला, बेंगलुरु में स्थित हुस्कर झील में सदाश्रेया अनाथालय के बच्चों के साथ मनाया। दिन बहुत ही महत्वपूर्ण था क्योंकि बच्चों और जीकेसी के सदस्यों ने दीप प्रज्ज्वलित किया और स्वामी विवेकानंद को याद किया। जीकेसी कर्नाटक के सभी सदस्यों ने अनाथालय के बच्चों के साथ एक-एक पौधा लगाया। बच्चों को भोजन, चिप्स और चॉकलेट भी वितरित किए गए, और उन्होंने गायन और नृत्य का आनंद लिया। जीकेसी कर्नाटक परिवार के एक सदस्य ने अनाथालय के बच्चों को क्रिकेट किट भी दान किया।इस अवसर पर, जीकेसी कर्नाटक के अध्यक्ष डॉ. कुमार मानवेंद्र ने स्वामी विवेकानन्द द्वारा उद्धृत कुछ पंक्तियों को पढ़ा ‘‘अपने आप को सिखाओ, सभी को उसका वास्तविक स्वरूप सिखाओ, सोई हुई आत्मा को बुलाओ और देखो कि वह कैसे जागती है। शक्ति आएगी, महिमा आएगी, अच्छाई आएगी, पवित्रता आएगी और जो कुछ भी उत्कृष्ट है वह तब आएगा जब यह सोई हुई आत्मा आत्म-चेतन गतिविधि के लिए जागृत होगी।” जीकेसी कर्नाटक युवा अध्यक्ष अपूर्व प्रसाद ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द ने युवाओं को शरीर, मन और आत्मा में मजबूत होने के लिए प्रेरित किया है और उन्होंने राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका की पुरजोर वकालत की है। जीकेसी कर्नाटक महासचिव उत्कर्ष आनंद, मधुर स्मृति, नीतीश सिन्हा, गजेंद्र माथुर, प्रशांत कुमार, शारदेश सक्सेना, अखिल श्रीवास्तव और अंकुर सिन्हा भी वहां मौजूद थे।