सहारा जीवन
अमेठी। , विश्व भर में रोकी जा सकने वाली मौते और बीमारियों का एक मात्र सबसे बड़ा कारण तम्बाकू सेवन है। लगभग 60 लाख लोग हर साल तम्बाकू के सेवन से अपनी जान गवाते है। 6.5 सेकंड में एक धूम्रपान करने वाले व्यक्ति की मौत होती है। लगभग हर साल 9 लाख भारतीय तम्बाकू सेवन के कारण मरते है जो कि क्षय रोग, एड्स और मलेरिया से होने वाली मौतों से अधिक है।
जनपद के एसीएमओ और एनसीडी के नोडल अधिकारी डा संजय कुमार ने बताया कि
प्रतिदिन 2200 से अधिक भारतीय तम्बाकू सेवन के कारण मरते है। -भारत में कैंसर से मरने वाले 100 रोगियों में 40 तम्बाकू के प्रयोग के कारण मरते है।
लगभग 95 प्रतिशत मुंह के कैंसर तम्बाकू सेवन करने वाले व्यक्तियों में होते है। – 2030 में धूम्रपान से मरने वालों की संख्या 83 लाख होगी। उन्होंने बताया कि धूम्रपान के अलावा तम्बाकू सेवन के कई प्रकार है जैसे- जर्दा, खेनी, हुक्का, गुटका तम्बाकू युक्त मसाला, मावा मिसरी एवं गुल) आदि। यह भी बीड़ी सिगरेट की तरह ही हानिकारक है। उन्होंने बताया कि किशोरावस्था (13 से 15 वर्ष) से ही तम्बाकू सेवन करने से नपुंसकता पैदा होती है। मानसिक स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ता है और तम्बाकू सेवन करने वाला व्यक्ति मानसिक रोगों से पीड़ित हो जाता है। इसके सेवन से न केवल कैंसर होता है बल्कि हृदयरोग, मधुमेह, टीबी (क्षयरोग), अभिघात (लकवा), दृष्टि विहीनता फेफड़े के रोग एवं श्वास सम्बंधी रोग होता है।कैंसर के एक मरीज पर लगभग 10 से 15 लाख का खर्च आता है और उपचार के लिए उन्हें कर्ज भी लेना पड़ता है यहाँ तक उन्हें अपना घरबार एवं खेत खलिहान भी बेचना पड़ता है और अपने परिवार को आर्थिक विपत्ति में डाल देता है।
जिला कार्यक्रम प्रबंधक बसंत कुमार राय ने
बताया कि धारा-4 के अन्तगत सार्वजनिक स्थान (जैसे सभागृह, अस्पताल, भवन, रेलवेस्टेशन प्रतीक्षालय, मनोरंजन रेस्टोरेन्ट, शासकीय कार्यालयों, न्यायालय परिसर, शिक्षण संस्थानो पुस्तकालय, लोक परिवहन) एवं अन्य कार्यस्थलों में धूम्रपान करना अपराध है। धारा-5 के अर्न्तगत तम्बाकू उत्पादों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष विज्ञापन पर पूर्ण प्रतिबन्ध है। धारा 6 (अ) के अन्तर्गत 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति को तम्बाकू बेचना प्रतिबन्धित है। धारा-6 (व) के अर्न्तर्गत शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज की परिधि में तम्बाकू बेचना प्रतिबंधित है।
• धारा-7 के अन्तर्गत तम्बाकू तम्बाकू उत्पादों पर चित्रमय स्वास्थ्य चेतावनी प्रदर्शित होनी चाहिए। धारा 21 व 24 के अन्तर्गत धारा 4,6 का उल्लंघन करने पर 200 रु. तक जुर्माना हो सकता है।
एम ऐंड ई ऑफिसर श्रीराज ने बताया कि
धूम्रपान छोड़ने के 20 मिनट बाद रक्तचाप एवं ह्रदय गति सामान्य जाती है। 20 मिनट बाद कार्बन मोनोऑक्साइड (जहरीली गैस) शरीर से बाहर निकल जाती है।2 से 4 हफ्ते धू के 9 महीने बाद रक्त संचार में सुधार आ जाता है। धूमपान छोड़ने के 12 से 60 माह के बाद हृदय रोग का जोखिम आधा हो जाता है।धूम्रपान छोड़ने के 10 वर्ष बाद फेफड़े के कैंसर का जोखिम आधा हो जाता है।धूम्रपान छोड़ने के 15 वर्ष बाद हार्टअटक और अभिघात (लकवा) का जोखिम उतना ही होता है, जितना कभी भी पान न करने वाले व्यक्ति में होता है।