ग्लेशियर पृथ्वी पर जल-चक्र एवं जल सुरक्षा को बनाये रखने में अपनी महती भूमिका निभाते हैँ,

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प्रयागराज। सी.एम.पी.डिग्री कालेज के जल साक्षरता सर्टिफिकेट कोर्स द्वारा विश्व जल दिवस पर ग्लेशियर संरक्षण पर आयोजित सेमिनार रैली और पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित किया गया।भारत में ग्लेशियर देश के उत्तरी भाग के हिमालय में केंद्रित हैं जो लगभग 15000 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले हुए हैं और गंगा, ब्रह्मपुत्र तथा अन्य महत्वपूर्ण नदियों को पानी देते हैं। मुख्य अतिथि जल योद्धा आर्यशेखर नें कहा कि ग्लेशियर पृथ्वी के भविष्य के संरक्षक है जो गर्म होती पृथ्वी के कारण पिघल कर संकुचित हो रहे है। हालाँकि वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, देहरादून के वैज्ञानिकों के एक अध्ययन अनुसार ग्लेशियरों का पिघलना एक प्राकृतिक घटना है, लेकिन जिस गति से उत्तराखंड में ग्लेशियर पिघल रहे हैं वह चिंताजनक है। अध्ययन में बताया गया है कि हिमालय क्षेत्र में कुल 9575 ग्लेशियर हैं, जिनमें से 900 ग्लेशियर उत्तराखंड में हैं और ग्लोबल वार्मिंग, ग्रीन हाउस गैसों के बढ़ते उत्सर्जन ही इसके जिम्मेदार हैं।जल साक्षरता सर्टिफिकेट कोर्स के संयोजक डॉक्टर प्रमोद शर्मा नें कहा कि आज जल दिवस है, जिसका थीम भी ग्लेशियर संरक्षण रखा गया है, जिसका एक मात्र उद्देश्य दुनिया भर के ग्लेशियरों की रक्षा के लिए तत्काल अवश्यकताओं पर जोर देना और बढ़ते वैश्विक तापमान को कम करने के प्रति जागरूक करना है। ग्लेशियर पृथ्वी पर जल-चक्र एवं जल सुरक्षा को बनाये रखने में अपनी महती भूमिका निभाते हैँ, जो तेजी से बढ़ते ग्लोबल वर्मिंग (तापमान) के कारण प्रभावित हो रहे हैँ। लेकिन अब पिघल रहे ग्लेशियर को लेकर दुनिया का ध्यान केंद्रित हुआ है और इनके संरक्षण के लिए प्रयास शुरू हो रहे हैँ।यूनेस्को कि रिपोर्ट बताती है कि पृथ्वी का लगभग सत्तर फीसद ताज़ा जल बर्फ या ग्लेशियर के रूप में मौजूद है और लगभग दो अरब लोग पीने, कृषि और ऊर्जा उत्पादन के लिए ग्लेशियरों, बर्फ और पहाड़ों से निकलने वाले पानी पर निर्भर हैँ।प्रोफेसर संतोष श्रीवास्तव नें कहा कि ग्लेशियर पृथ्वी पर जीवन के महत्वपूर्ण संसाधन हैं और जल स्रोतों के साथ पृथ्वी पर नदियों को जीवंत रखते हैँ। साथ ही पृथ्वी के परिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने, लाखों लोगों के जीवन यापन में मदद करने और जैव विविधता संरक्षण में ग्लेशियर महत्वपूर्ण योगदान देते हैँ। प्रोफेसर बबिता अग्रवाल ने बताया कि वातावरण में बढ़ रही गर्मी से बर्फ व ग्लेशियर पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को समझने तथा जलवायु प्रणाली और जल सुरक्षा में ग्लेशियरों की महत्वपूर्ण भूमिका है।जल साक्षरता सर्टिफिकेट कोर्स के छात्रों को आज सर्टिफिकेट वितरित किया गया।कुंभ के दौरान वाटर सैंपलिंग और टेस्टिंग के लिए छात्रों को सम्मानित भी किया गया।संचालन डॉक्टर प्रमोद शर्मा नें किया धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर डॉक्टर डी.के.साहू नें किया।इस अवसर पर जल संरक्षण को लेकर जागरूकता हेतु कैंफस में रैली निकालकर जल बचाओ जीवन बचाओ, पानघ की जंग में हम सब संग में जैसे नारों से परिसर गूंज उठा।पोस्टर के माध्यम से भी जागरूक किया गया।इस अवसर पर डॉक्टर राजेश यादव,डॉक्टर डी.के.साहू, डॉक्टर, अकरम अली,डॉक्टर अशोक रंजन डॉक्टर रंजीत कुमार सहित बडी़ संख्या में छात्र उपस्थित रहे।

Sahara Jeevan
Author: Sahara Jeevan

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