जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ का हुआ भव्य कार्यक्रम
अमेठी/मुंबई/पटना भारतीय संविधान जिसे विश्व का सबसे अच्छा संविधान माना जाता है। उसकी संरचना में भूमिका निभाने वाले कायस्थ विभूतियों को समर्पित। जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ का भव्य कार्यक्रम आयोजिया किया गया।इस आयोजन में 6 देश और 6 प्रदेशों के कलाकारों ने अपनी अद्वितीय कला और प्रतिभा से न केवल भारत, बल्कि विश्वभर में रसिक जनों को मंत्रमुग्ध किया। उक्त जानकारी जीकेसी मीडिया प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष श्रीवास्तव ने दी।
उन्होंने बताया कि इस अवसर पर जहां एक ओर विदेशों में बसे प्रतिष्ठित कायस्थ कलाकारों ने सुर और ताल से सुसज्जित मधुर धारा से शानदार प्रदर्शन किया वही अपनी देशभक्ति कविताओं के माध्यम आमंत्रित कवियों ने सभी उपस्थित महानुभावों को एक अविस्मरणीय अनुभव दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ बंकिमचंद्र चटर्जी रचित “वंदे मातरम..” से किया गया जिसे स्वर दिया कर्नाटक के नीतेश शरण ने। इसके पश्चात प्रकोष्ठ के अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध वायलन वादक डॉ रंजन कुमार अपने वायलन पर “सारे जहां अच्छा..” गीत की तान छेड़कर सभी को भाव विहोर कर दिया। इसके बाद भोपाल के कलाकार श्री अभिषेक माथुर ने माउथ ऑर्गन से “नन्हा मुन्ना रही हूं” नामक गीत की धुन बजाई।कार्यक्रम को गति देते हुए विदेश और प्रदेशों से ऑनलाइन जुड़े कलाकारों और कवियों को क्रमबद्ध आमंत्रित किया गया। लॉस एंजिल्स से चंदन श्रीवास्तव, जोधपुर राजस्थान से मधुबाला श्रीवास्तव, दुबई से राजीव कुमार, रांची झारखंड से अनीता रश्मि, आगरा उत्तर प्रदेश से मोहित सक्सेना, लंदन से सिद्धार्थ श्रीवास्तव, शिवपुरी मध्यप्रदेश से अपूर्वा शशांक वर्मा, टोरेंटो कनाडा से रितेश कुमार, अंबिकापुर छत्तीसगढ़ से मीना वर्मा,जनकपुर नेपाल से सुनील मलिक, भोपाल मध्यप्रदेश से मनीष बादल और अहमदाबाद गुजरात से प्रदीप कुमार प्राश ने अपनी प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम को रोचक और ज्ञानवर्धक बनाने की जिम्मेदारी वरिष्ठ साहित्यकार आलोक अविरल ने निभाई। कार्यक्रम का सफल संचालन कला संस्कृति प्रकोष्ठ के ग्लोबल महासचिव पवन सक्सेना एवं प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय महासचिव शिवानी गौड़ किया गया।इस अवसर पर ग्लोबल अध्यक्ष डॉ राजीव रंजन प्रसाद ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कलाकारों की भी अहम भूमिका रही है। कवि हो, लेखक हो या फिर कलाकार सभी ने लोगों को देशप्रेम की धारा से जोड़ा,आजादी की लड़ाई के लिए लोगों को समय समय पर जागृत किया। उन्होंने कही कि आज भी देश को ऐसे निर्भीक कलाकारों की आवश्यकता है जो अपनी कला प्रदर्शन के साथ-साथ वे सभी कला और सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ावा देने में सहयोगी भी बने, जिससे की समाज में सांस्कृतिक मूल्यों और कला की महत्वता को बढ़ावा मिल सके। प्रबंध न्यासी रागिनी रंजन ने इस संगीतमय कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए में देश विदेश से जुड़े सभी कलाकारों और कवियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि कला और सांस्कृतिक कार्यक्रम न सिर्फ लोगो में जागरूकता बढ़ाते हैं, बल्कि ये भी सुनिश्चित करते हैं कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित और संरक्षित किया जा सके। सांस्कृतिक साहित्यिक कार्यों से बंधुत्व की भावना बढ़ती है साथ आंतरिक ऊर्जा का विस्तार होता है।
उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में भी कला संस्कृति प्रकोष्ठ ऐसे ही रोचक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करती रहेगी।इस अवसर पर कला संस्कृति प्रकोष्ठ के ग्लोबल महासचिव पवन सक्सेना ने बताया कि जीकेसी कला संस्कृति प्रकोष्ठ ने सदैव कलाकारों को उनकी उपलब्धियों और संघर्ष यात्रा के लिए सम्मानित किया है। हमने हमेशा विभिन्न कला शैलियों और प्रतिभाओं को एक मंच पर लाकर उन्हें अपनी कला प्रदर्शन करने का अवसर दिया है। निश्चित ही इस प्रयास से हमारी सांस्कृतिक धरोहर को और मजबूती मिलेगी।विशेष आभार व्यक्त करते हुए कला संस्कृति प्रकोष्ठ नवनियुक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ रंजन कुमार ने कहा कि निश्चित ही कला-संस्कृति प्रकोष्ठ भविष्य में भी इस तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजित करती रहेगी जिससे कला और सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ावा मिलता रहे।