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पंडित दीनानाथ राष्ट्रीय इंटर कॉलेज के पास किया जा रहा शव दाह गृह का निर्माण

सुनील बाजपेई
कानपुर। यहां देहात में रसूलाबाद थाना क्षेत्र के रसवल रावत और उसके आसपास के गांव में रहने वाले ग्रामीण आजकल अपने बच्चों के भविष्य को लेकर बहुत परेशान हैं ,जिसकी वजह है, रसवल रावत गांव के पंडित दीनानाथ राष्ट्रीय इंटर कॉलेज के निकट शव दाह गृह यानी मरघट बनवाने की जा रही तैयारी बनाना। यह शवदाह गृह प्रशासन द्वारा स्कूल के इतने निकट बनवाया जा रहा है कि अगर वहां मानव लाशें जलाई जाएगी तो उससे होने वाला प्रदूषण बच्चों और आसपास गांवों में लोगों के लिए भी बहुत घातक साबित होगा। यही नहीं शव जलाए जाने का यह स्थान बच्चों में भूत प्रेत होने जैसा मानसिक भय भी पैदा कर सकता है| जो कि उनके शिक्षा के मार्ग में भी बाधक क बन सकता है।जबकि हाई कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक बच्चों के पढ़ने वाले स्थान यानी स्कूल के पास शवदाह गृह जैसा कुछ भी नहीं बनाया जा सकता और अगर वहां पहले से बना भी है तो वहां से हटाया जा सकता है लेकिन जिला कानपुर देहात का प्रशासन है कि उसे स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों और उनके अभिभावकों की इस मानसिक रूप से भी घातक परेशानी से कोई मतलब नहीं है।
खास बात यह भी कि ऐसा कोई अधिकारी नहीं है, जिससे इस बारे में छात्रों के ग्रामीण अभिभावकों द्वारा इसकी लिखित शिकायत न की गई हो। यहां तक कि इस बारे में सबसे पुराने वरिष्ठ शिक्षक विधायक और प्रश्न एवं संदर्भ समिति के सभापति राजबहादुर सिंह चंदेल भी जिलाधिकारी को पत्र लिख चुके हैैं लेकिन जिला कानपुर देहात के प्रशासन पर इस पत्र का भी कोई असर नहीं पड़ा। मतलब लगभग 500 छात्रों की संख्या वाले पंडित दीनानाथ राष्ट्रीय इंटर कॉलेज के निकट शव दाह गृह के निर्माण का कार्य लगातार जारी है |
जहां तक सरकारी तौर पर बनाए जा रहे इस शव दाह ग्रह यानि मरघट की उपयोगिता का सवाल है। इसमें चालू हो जाने की दशा में आसपास के गांवों की न जाने कितनी लाशें भी यही जलाई जाया करेंगी। और उस समय लाशों को जलाने से धुवें के रूप में जो प्रदूषण होगा | वह पास के पंडित दीनानाथ राष्ट्रीय इंटर कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों के स्वास्थ्य के लिए भी बहुत हानिकारक होने से भी साफ इनकार नहीं किया जा सकता। यहां तक कि कालेज के निकट मरघट जैसा यह स्थान कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों के मन में भूत-प्रेत जैसा भाव भी पैदा करेगा, जो कि उनके शिक्षा ग्रहण करने में बहुत बाधक भी बन सकता है।
कॉलेज के मुखिया समाजसेवी कमल शर्मा और प्रधानाचार्य शशिकांत त्रिपाठी के मुताबिक पंडित दीनानाथ राष्ट्रीय इंटर कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य को दृष्टिगत रखते हुए उसके नजदीक सौदा गृह का निर्माण किसी भी हालत में नहीं किया जाना चाहिए लेकिन ग्राम प्रधान और लेखपाल अंत्येष्टि मतलब मरघट के लिए उचित स्थान का चयन करने के बजाए कालेज के निकट ही बनवाने पर अड़े हुए हैं। जबकि लाशें जलाए जाने के फलस्वरूप शैक्षिक वातावरण के खिलाफ जिसका बहुत प्रतिकूल असर पंडित दीनानाथ राष्ट्रीय इंटर कॉलेज के छात्रों पर पड़ेगा| रसूलाबाद थाना क्षेत्र के इस रसवल गांव में पंडित दीनानाथ राष्ट्रीय इंटर कॉलेज से मरघट की नजदीकी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि निर्मित होने जा रहे इस मरघट अंत्येष्टि स्थल गाटा संख्या 23 की बाउंड्री वाल और विद्यालय की भूमि गाटा संख्या 24 ,25 और 28 की भी बाउंड्री साथ – साथ जुड़ी हुई है|
यही वजह है कि इसके निर्माण को लेकर ग्रामीणों में जबरदस्त रोष भी व्याप्त है । इसको लेकर बच्चों के परेशान ग्रामीण अभिभावकों का आरोप है कि इस बारे में दर्जनों प्रार्थना पत्र देने के बाद भी इसकी इसको रोकने की कार्रवाही करने के स्थान पर कॉलेज के पास शव दाह गृह यानी श्मशान मतलब मरघट का निर्माण कराने का प्रयास किया जा रहा है|
नाराज ग्रामीण कॉलेज के निकट मरघट बनाए जाने के खिलाफ अपना रोष जाहिर करते हुए सवाल उठाते हैं कि क्या अगर इस स्कूल में जिम्मेदार बड़े अधिकारियों या फिर किसी जनप्रतिनिधि के बच्चे पढ़ रहे होते ,तब भी वे यानी अधिकारी और जनप्रतिनिधि नेता कालेज के निकट मानव लाशें जलाने का स्थान शवदाह गृह बन जाने देते | शायद कदापि नहीं ,क्योंकि इस पंडित दीनानाथ राष्ट्रीय इंटर कॉलेज में गरीब गांव वालों के ही बच्चे पढ़ते हैं। इसीलिए शायद नेताओं और अधिकारियों को कालेज के निकट बच्चों का भविष्य चौपट करने वाला और उनकी शिक्षा में व्यवधान पैदा करने वाला मरघट बनाए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है और ना ही उन्होंने अब तक इस पर कोई विरोध जाहिर किया है ।
जहां तक शवदाह गृह की उक्त जमीन कालेज के निकट आराजी संख्या में पुराने समय से दर्ज होने का सवाल है। कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों के भविष्य को देखते हुए यह स्थान बदला भी जा सकता है ,और ऐसा इसलिए भी संभव है क्योंकि कॉलेज से दूर कई गांवों में ग्राम समाज की ऐसी भी जमीने खाली पड़ी हैं ,जहां इस शवदाह गृह का निर्माण कराया जा सकता है,लेकिन क्षेत्रीय लेखपाल और ग्राम प्रधान पता नहीं किस लालच में ऐसा करने को तैयार नहीं है | यहां तक कि मरघट के निर्माण में कमीशन खोरी से भारी आर्थिक लाभ मिलने का यह लालच हाईकोर्ट के आदेश निर्देशों और उसकी गाइडलाइन को भी ताक पर रखता भी साफ नजर रहा है |
फिलहाल विद्यालय प्रबंधन और ग्रामीणों की ओर से इस मरघट को कालेज के निकट बनवाने के खिलाफ प्रयास लगातार जारी हैं | लेकिन इसमें सफलता का कोई मुकाम क्या वास्तव में हासिल हो पाएगा। यह आने वाला वक्त ही बताएगा।

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