अमेठी : एक ओर सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर वृक्षारोपण अभियान चला रही है तो दूसरी ओर वन माफिया हरे-भरे पेड़ों को काटकर पर्यावरण का गला घोंट रहे हैं।
ताज़ा मामला अमेठी बाजार शुकुल के किशनी का है जहां बच्चू उर्फ उमेश नाम का व्यक्ति खुलेआम हरे आम के पेड़ों पर आरा चला रहा है। ग्रामीणों का कहना है — यह सब कुछ वन विभाग और स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से हो रहा है।
पाली से लेकर मंगरौली तक…, उरेरमऊ से लेकर अंकारा तक…, महोना से लेकर मोहिउद्दीनपुर मजार तक… हर जगह हरे पेड़ों की अवैध कटान हो रही है। कहीं शीशम काटा जा रहा है तो कहीं जेसीबी से महुआ और आम की जड़ें उखाड़ी जा रही हैं। वन विभाग कहता है कि 25 हज़ार का जुर्माना लगाया गया है।
लेकिन सवाल यह है —जुर्माने की रसीद कहां है? ठेकेदार को जानकारी क्यों नहीं दी जाती? और सबसे बड़ा सवाल — बिना ट्रांजिट पास (TP) के लकड़ी ट्रैक्टर-ट्रॉली में कैसे निकल जाती है?
एक ठेकेदार ने नाम न बताने की शर्त पर खुलासा किया —
“जुर्माना भरने के बाद भी रेंजर ऑफिस में अलग से पैसे मांगे जाते हैं फिर भी रसीद नहीं दी जाती…”। सरकार हर साल लाखों पौधे लगाती है, पर सवाल यह है — “जब पेड़ जिंदा हैं, उन्हें बचाने की जिम्मेदारी कौन लेगा?” “क्या वन विभाग की भूमिका हरियाली बचाने की है… या उसकी बोली लगाने की?”
अमेठी में यह सिर्फ पेड़ कटान की कहानी नहीं बल्कि मिलीभगत, लापरवाही और भ्रष्टाचार की जड़ों में समाई सच्चाई है। जब हरा सोना बिक रहा हो… तो सवाल उठता है — “क्या अब जंगलों की सुरक्षा भी नीलाम हो चुकी है?”

Author: Ashok Srivastava
Amethi