अमेठी : आज़ादी के सत्तर साल बाद के विकास का सच देखना हो, तो आइए उत्तर प्रदेश के वीवीआईपी जिले — अमेठी में।
वो अमेठी… जिसे कभी विकास का मॉडल बताया गया, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी कहती है।
बाजार शुक्ल ब्लॉक के गांव मंड़वा की तस्वीरें आपको हैरान कर देंगी। कहने को तो यहां विकास की गंगा बह रही है, लेकिन हकीकत ये है कि इस गंगा में बह रहा है बजबजाता गंदा पानी।
गांव की गलियां किसी नाले में तब्दील हो चुकी हैं,
जहां से होकर स्कूल जाने वाले छोटे-छोटे बच्चे हर दिन अपनी ज़िंदगी दांव पर लगाकर गुजरते हैं। टूटी-फूटी खड़ंजा सड़कें, जगह-जगह भरी गंदगी, और खुली नालियां — यही है उस गांव की असली तस्वीर, जिसे कागज़ों में “आदर्श ग्राम” बताया गया।
गांव की नालियों को ढकने के लिए लगाई गईं पट्टियाँ या तो गायब हैं, या फिर इस हाल में हैं कि खुद अपने अस्तित्व पर शर्मिंदा हैं।
मानो वो भी पूछ रही हों — “कहां गया वो विकास जिसका वादा चुनाव के वक्त किया गया था?”
ग्राम प्रधान प्रत्याशी चुनाव के दौरान जब वोट मांगने आते हैं,
तो गांव को शीशमहल बनाने का वादा करते हैं, लेकिन सत्ता मिलने के बाद वही वादे, वोटों की तरह, धीरे-धीरे बह जाते हैं इन नालियों में…
सवाल बड़ा है —
क्या ये बजबजाती नालियां, उखड़े खड़ंजे, और गायब पट्टियाँ
ग्राम पंचायत विभाग की आंखों से ओझल हैं? या फिर सब कुछ देखकर भी अनदेखा किया जा रहा है? कहने को अमेठी वीवीआईपी जिला है, लेकिन यहां का गांव मंड़वा आज भी तरस रहा है। उस विकास के लिए, जिसका सपना हर चुनाव में दिखाया जाता है।
अब सवाल ये है — क्या इस गांव की गंदगी को साफ करेगा कोई… या फिर विकास का ये सच यूं ही बदबू मारता रहेगा? गांव की दशा बताने के लिए एक ही तस्वीर काफी है।
जिलाधिकारी व जिला पंचायत राज अधिकारी का ध्यान अपेक्षित है।

Author: Ashok Srivastava
Amethi